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वो चाँदनी का बदन खुशबुओं का साया है बहुत अजीज़ हमें

वो चाँदनी का बदन खुशबुओं का साया है
बहुत अजीज़ हमें है मगर पराया है!
उसे किसी की मोहब्बत का ऐतबार नहीं
उसे ज़माने ने शायद बहुत सताया है।
ज़िन्दगी सिर्फ इसी धुन में गुजारे जायें
बस तेरा नाम,  तेरा नाम पुकारे जायें!
जब ये तय है कि यहाँ कोई नहीं आएगा
किस की खातिर दर-ओ-दीवार सँवारे जायें।
वो मुझ तक आने की राह चाहता है
लेकिन मेरी मोहब्बत का गवाह चाहता है!
खुद आते-जाते मौसमों की तरह है
और मुझसे मोहब्बत की इन्तेहाँ चाहता है।

©अ..से..(अखिलेश).$S....'''''''''!
  #SADTuneJamane