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तुझे शायद पता नहीं तेरी आंखों में खुद को ढूंढता हू

तुझे शायद पता नहीं तेरी आंखों में खुद को ढूंढता हूं फिर उसके बाद आइना से डरता हूं

गर हो सके तो तुम अभी चलो मेरे संग दो कदम मै अपने दरमियान फासला से डरता हूं

हम दोनों के दरमियान ये फासला ख्वाब है या हकीकत इसीलिए दूरी बना के रहता हूं

बोल ऐ शाम ए सफर रिहाई की सूरत क्या है खाक में मिला दिया फिर भी तुझ पे मरता हूं

सोचता हूं जाऊं कहां जब मेरे वजूद पे उतरी है लफ्ज़ की सूरत इसीलिए संभल के चलता हूं

मेरा मशवरा भी सुन लो अब तुम ही करो मसीहाई मेरा हाल ये की तेरे सामने आने से डरता हूं

    🐷मेरी इक नई ग़ज़ल फसाना ए ज़िन्दगी🐷

©Prem Narayan Shrivastava मेरी इक नई ग़ज़ल फसाना ए ज़िन्दगी

#fullmoon
तुझे शायद पता नहीं तेरी आंखों में खुद को ढूंढता हूं फिर उसके बाद आइना से डरता हूं

गर हो सके तो तुम अभी चलो मेरे संग दो कदम मै अपने दरमियान फासला से डरता हूं

हम दोनों के दरमियान ये फासला ख्वाब है या हकीकत इसीलिए दूरी बना के रहता हूं

बोल ऐ शाम ए सफर रिहाई की सूरत क्या है खाक में मिला दिया फिर भी तुझ पे मरता हूं

सोचता हूं जाऊं कहां जब मेरे वजूद पे उतरी है लफ्ज़ की सूरत इसीलिए संभल के चलता हूं

मेरा मशवरा भी सुन लो अब तुम ही करो मसीहाई मेरा हाल ये की तेरे सामने आने से डरता हूं

    🐷मेरी इक नई ग़ज़ल फसाना ए ज़िन्दगी🐷

©Prem Narayan Shrivastava मेरी इक नई ग़ज़ल फसाना ए ज़िन्दगी

#fullmoon