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मोहब्बत दरीचे की खुली हुई खिड़की नहीं है मोहब्बत ब

मोहब्बत दरीचे की खुली हुई खिड़की नहीं है

मोहब्बत बिस्तरों पर पड़ी हुईं सलवटें नहीं हैं

मोहब्बत गुलाब की ख़ुशबू नहीं है

मोहब्बत किसी ख़्वाब की आरजू नहीं है

मोहब्बत सोने का दिया हुआ कंगन नहीं है

मोहब्बत संगेमरमर का बना हुआ आंगन नहीं है

मोहब्बत बरसों पुरानी डायरी पर पड़ी धूल है

मोहब्बत फ़ूल के नीचे लगे असंख्य शूल है

मोहब्बत बेंच पर बैठे अकेले लड़के का ख़्वाब है

मोहब्बत हर किसी के सीने में जलती हुई आग है

मोहब्बत हर इंसान का गम है

मोहब्बत में कुछ आँखे गीली तो कुछ नम हैं

मोहब्बत दूर है ना पास है

मोहब्बत मरे हुओं का ज़िन्दा अहसास है

©अनुज कार्तिक #raindrops
मोहब्बत दरीचे की खुली हुई खिड़की नहीं है

मोहब्बत बिस्तरों पर पड़ी हुईं सलवटें नहीं हैं

मोहब्बत गुलाब की ख़ुशबू नहीं है

मोहब्बत किसी ख़्वाब की आरजू नहीं है

मोहब्बत सोने का दिया हुआ कंगन नहीं है

मोहब्बत संगेमरमर का बना हुआ आंगन नहीं है

मोहब्बत बरसों पुरानी डायरी पर पड़ी धूल है

मोहब्बत फ़ूल के नीचे लगे असंख्य शूल है

मोहब्बत बेंच पर बैठे अकेले लड़के का ख़्वाब है

मोहब्बत हर किसी के सीने में जलती हुई आग है

मोहब्बत हर इंसान का गम है

मोहब्बत में कुछ आँखे गीली तो कुछ नम हैं

मोहब्बत दूर है ना पास है

मोहब्बत मरे हुओं का ज़िन्दा अहसास है

©अनुज कार्तिक #raindrops