सहर हाज़िर है पर लेकर धंधे का अफसाना , उठकर नहा धोकर हमे आखिर काम पर है जाना, यही मेरी रोजमर्रा की दर्दनाक कहानी है, गया बचपन तो गया ऐश-ओ-आराम का ज़माना। हर दिन की कहानी.... #सहर #हाज़िर #अफसाना #रोजमर्रा #दर्दनाक #बचपन_के_वो_दिन #ऐशोआराम