अब राह अपनी चल परा हूॅ भूला के सारे गमो को अब खुशियों की तलास में निकल परा हूॅ अब राह अपनी चल परा हूॅ अब राह चलूँगा खूद की चाहे ज़माना कहे कूछ भी नही ख्याल मुझे ज़माने की बस ख्याल रखने खुद की अब राह अपनी चल परा हूॅ तकलीफ़ से अब लडूंगा आसूयो से अब भिरुन्गा दिल की जुबान को बंद करके अब बस दिमाग की मै सूनूंगा बस राह अपनी चलूंगा जमाने की ताने बहूत सुनी अब खुद की आवाज़ सुनूंगा बस राह अपनी चलूंगा।