ख़त मैं एक खत उसके नाम लिखूंगा, और नाम अपना गुमनाम लिखूंगा। दिल की बाते जो कह ना पाया, उनको मैं वहाँ सरेआम लिखूंगा। पढ़ कर ख़त को मुस्का जाये वो, मैं ऐसा एक पैग़ाम लिखूंगा। जो भूल चुकी है वो मन से अपने, मैं ऐसे किस्से आम लिखूंगा। वो घर की ज़रा अकेली है , उसके हिस्से आराम लिखूंगा। मैं प्रेमी पागल और क्या लिखू? अब सबकुछ उसके नाम लिखूंगा।। #ख़त #tanukikavita