पल-पल बदलती इस दुनियाँ में, वक़्त-दर-वक़्त बदलता रूप मेरा, एक बेटी, पत्नी, बहु, बहन औऱ "माँ" हर उम्र में गुजरता नया क़िरदार मेरा, खुली आँखों में भी सपने जागते मेरे, कई ख़्वाहिशों का प्यासा है समंदर मेरा, हिज़ाब, ये साड़ी, ये पर्दा, ये घूँघट मेरे, फ़िर क्यूँ झाँकता निग़ाहों से जिस्म मेरा, ये संस्कृति ये धर्म ये रीति-रिवाज़ भी मेरे, वक़्त-दर-वक़्त शर्मसार होता क़िरदार मेरा, — Kumar✍️ ©Kumar #Nojotowriter #नोजोटोओरिजनल indira