क्या जमीर ना डोली उन दरिंदों की करते रहे गुनाह जो उन बेगुनाहों पर। उसे पता था उसकी कोई गुनाह नहीं मारकर अपनी ममता को परिचय दरिंदों का। मार दिया उसने अपनी इंसानियत को जला दिया उसने उनके स्वर्ग सी घरों को। चंद पैसों की खातिर कर दिया उसे घर से बेघर अपनी खुशियां की लिए छीन ली उनकी खुशियां। इतना क्या जुल्म कम था उसके लिए जो उसने अपनी हवस भी बुझाई, उनके घर के इज्जत से। उसकी ताकत को क्या समझे हम जिसने अपनी ताकत उपयोग किया उन बेबस कमजोरों पर। क्यों जमीर ना डोली उन दरिंदों की जो करते रहे गुनाह उन बेगुनाहों पर। कहता है,बेसहारा का ऊपर वाला सहारा है क्यों वो बन गया आज उनके लिए रक्षक से राक्षस। #Night #गरीब #अमीर #poor #rich #India #bharat