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White *उसका सूखा गुलाब* एक मुद्दत पेशतर जो गुलाब

White *उसका सूखा गुलाब*

एक मुद्दत पेशतर जो गुलाब दिया था तुमने, वो आज भी मेरे इंग्लिश 
के रिसाले में महकता है,उस सूखे गुलाब से मुअत्तर रहती है आज
 भी मेरी साँसे,
हाँ वो किताब खाना वो मोहबतों की लाइब्रेरी,वो खूबसूरत जन्नत 
जैसी किताबों का शहर,तुम से मेरी रूह को जोड़ने का एक लौता
 जंकशन है,वो बात कैसे भूल सकता हु मैं, 
जब मुझसे पहली बार तुम्हारा वस्ल हुआ था, मैं डेस्क पर बैठा हुआ बे
 दिलचस्पी से हिस्ट्री की किताब पढ़ रहा था, दरअसल पढ़ नहीं रहा 
था बोर हो रहा था,
तुम मेरे रू ब रू ही बैठी थी सिले हुए लब लेकर, इधर उधर सौ 
मर्तबा देखा तुमने, और बड़ी बेतकल्लुफी से अपनी ख़ामोशी तोड़ी,
और बड़े अदब से नर्म लहज़े में गुफ्तगु की थी,और पूछा था जनाब 
फलां इंग्लिश ग्रामर की बुक कहाँ से मयस्सर होगी,उस दिन के बाद
तुम करीब बैठने लगी नज़दीकियां बढ़ने लगी , 
तुम्हारी सेंडल मेरे जूते टकरा जाते थे अनजाने में और फिर 
ये शरारते हर रोज़ जान के होने लगी, 
और फिर जैसे इन के टकराने का जूँ सिलसिला ही चल पड़ा हो,
मोहब्बत परवान चढने लगी,मुख्तलिफ राहें कुछ ऐसे मिली जैसे
 अज़ल से लिखें थे तुम नसीब में मेरे, तुम्हारी हथेली में होंगी शायद
 रेखायें मेरी,तन्हा करते करते सफ़र बन ही गए हम हमसफ़र!

©qais majaz,dark #sad_quotes  love poetry for her
White *उसका सूखा गुलाब*

एक मुद्दत पेशतर जो गुलाब दिया था तुमने, वो आज भी मेरे इंग्लिश 
के रिसाले में महकता है,उस सूखे गुलाब से मुअत्तर रहती है आज
 भी मेरी साँसे,
हाँ वो किताब खाना वो मोहबतों की लाइब्रेरी,वो खूबसूरत जन्नत 
जैसी किताबों का शहर,तुम से मेरी रूह को जोड़ने का एक लौता
 जंकशन है,वो बात कैसे भूल सकता हु मैं, 
जब मुझसे पहली बार तुम्हारा वस्ल हुआ था, मैं डेस्क पर बैठा हुआ बे
 दिलचस्पी से हिस्ट्री की किताब पढ़ रहा था, दरअसल पढ़ नहीं रहा 
था बोर हो रहा था,
तुम मेरे रू ब रू ही बैठी थी सिले हुए लब लेकर, इधर उधर सौ 
मर्तबा देखा तुमने, और बड़ी बेतकल्लुफी से अपनी ख़ामोशी तोड़ी,
और बड़े अदब से नर्म लहज़े में गुफ्तगु की थी,और पूछा था जनाब 
फलां इंग्लिश ग्रामर की बुक कहाँ से मयस्सर होगी,उस दिन के बाद
तुम करीब बैठने लगी नज़दीकियां बढ़ने लगी , 
तुम्हारी सेंडल मेरे जूते टकरा जाते थे अनजाने में और फिर 
ये शरारते हर रोज़ जान के होने लगी, 
और फिर जैसे इन के टकराने का जूँ सिलसिला ही चल पड़ा हो,
मोहब्बत परवान चढने लगी,मुख्तलिफ राहें कुछ ऐसे मिली जैसे
 अज़ल से लिखें थे तुम नसीब में मेरे, तुम्हारी हथेली में होंगी शायद
 रेखायें मेरी,तन्हा करते करते सफ़र बन ही गए हम हमसफ़र!

©qais majaz,dark #sad_quotes  love poetry for her