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"उठाता हूँ मैं कई बार, क़लम कुछ लिखने को, लेकिन हर

"उठाता हूँ मैं कई बार, क़लम कुछ लिखने को,
लेकिन हर बार क़लम मेरी, कुछ लिखती नहीं,

कहती हैं दुनिया, मुझे हमेशा रुकने को,
पर रोके से किसी के, चाल मेरी कभी रुकती नहीं,

बनते-बिगड़ते हैं, हालात ज़िन्दगी में मेरी,
लेकिन हालातो के आगे, ये ज़िन्दगी मेरी कभी झुकती नही,

चलते हैं दुश्मन चाल, बड़ी चालाकियों से,
लेकिन दुश्मनो की चालाकी वाली चाल, मुझ पर कभी चलती नही,

लिखना चाहता हूँ, मैं कई बार कुछ अल्फाज़,
लेक़िन जज्बातों के आगे अल्फाज़ो की कभी चलती नही,

"उठाता हूँ मैं कई बार, क़लम कुछ लिखने को,
लेकिन हर बार क़लम मेरी, कुछ लिखती नहीं,

*************************
*मेरे जज़्बात, मेरे अल्फाज़* उठाता हूँ मैं कई बार, क़लम कुछ लिखने को
"उठाता हूँ मैं कई बार, क़लम कुछ लिखने को,
लेकिन हर बार क़लम मेरी, कुछ लिखती नहीं,

कहती हैं दुनिया, मुझे हमेशा रुकने को,
पर रोके से किसी के, चाल मेरी कभी रुकती नहीं,

बनते-बिगड़ते हैं, हालात ज़िन्दगी में मेरी,
लेकिन हालातो के आगे, ये ज़िन्दगी मेरी कभी झुकती नही,

चलते हैं दुश्मन चाल, बड़ी चालाकियों से,
लेकिन दुश्मनो की चालाकी वाली चाल, मुझ पर कभी चलती नही,

लिखना चाहता हूँ, मैं कई बार कुछ अल्फाज़,
लेक़िन जज्बातों के आगे अल्फाज़ो की कभी चलती नही,

"उठाता हूँ मैं कई बार, क़लम कुछ लिखने को,
लेकिन हर बार क़लम मेरी, कुछ लिखती नहीं,

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*मेरे जज़्बात, मेरे अल्फाज़* उठाता हूँ मैं कई बार, क़लम कुछ लिखने को
rjverma1051

RJ Verma

New Creator