ये कुर्सियों की पंक्तिया भी रसूख़ तय करते है दिल पर मत लेना,फ़िज़ूल तय करते है ये जो बड़े बने बैठे है महफ़िल में इनकी जगह भी हुज़ूर तय करते है यक़ीन मानिये ये इनकी फितरत नही है बस हम ख़फ़ीफ के सामने गुरूर तय करते है आप भी हो सकते है इस रुतबे के मालिक ये आप में कितना है शुरूर तय करते है ©क्षत्रियंकेश कुर्सियां!