अहसास और उनके निणार्यक..!!! डर है कोई, तो डर ही रहने दीजिये अहसास है जो, उसे अहसास ही रहने दीजिये...!! नहीं है कोई ज़रुरत, वक्त-बेवक्त-हर-वक्त, मजबूत बने रहने की..!! जो कुछ भी अंदर टूट रहा है, बिखर जाने दीजिये.. बिखर जाने दीजिये, कि, फिर से संभल जायें, संभल जाने दीजिये, कि, फिर से संवर जायें..!! आंसू और डर को, समझते हैं अगर कमज़ोरी किसी की, यकीन मानिए, , आपसे बड़ा कायर नही कोई..!! हालात जो भी थे , संभालने की कोशिश उसने भी की होगी...!! रख कर काबू खुद पर, ख्यालों की आंधी भी मोड़ी होगी..!! जो सूनामी उसने महसूस की थी, पल भर के लिए ही सही, आप उस वक्त की आंधी भी महसूस नहीं कर पाये..!! महफ़िल में उसके अहसासों की करके चर्चा, यूँ खुद ही इंसानियत को चुनौती मत दीजिये..!! अहसास है जो, उसे बस अहसास ही रहने दीजिये..!! ©Upasana Saxena #pandemic_and_sufferings .