Nojoto: Largest Storytelling Platform

जब भूख से था,मै व्याकुल ज्वर से तपती,माँ थी आकुल

 जब भूख से था,मै व्याकुल 
ज्वर से तपती,माँ थी आकुल 
तब, तेरे घर भी आया था 
दुखड़ा भी तुमको, सुनाया था 
दे दो मुझको, दो ही रोटी 
कुछ ऐसे राग भी, गाया था  
बदले में ले लो, मुझसे काम 
ये कितनी बार, दुहराया था
 जब भूख से था,मै व्याकुल 
ज्वर से तपती,माँ थी आकुल 
तब, तेरे घर भी आया था 
दुखड़ा भी तुमको, सुनाया था 
दे दो मुझको, दो ही रोटी 
कुछ ऐसे राग भी, गाया था  
बदले में ले लो, मुझसे काम 
ये कितनी बार, दुहराया था