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केे ग़म हल्का नहीं होता ... जा कर, मयखाने में कोई

केे ग़म हल्का नहीं होता ... जा कर, मयखाने में कोई यारों!!
इसका ग़म फिर उसका ग़म ...  ग़म बढ़ता अपना, है यारों!!

सकूँ के आया था दो पल तलाशने जो मयखाने में!!
परेशां ज़िंदगी से अपनी हर कोई मुझको वहाँ मिला!!

कहना था बस कह दिया ...
~~~ मेरी कलम से ~~~ इसका गम
केे ग़म हल्का नहीं होता ... जा कर, मयखाने में कोई यारों!!
इसका ग़म फिर उसका ग़म ...  ग़म बढ़ता अपना, है यारों!!

सकूँ के आया था दो पल तलाशने जो मयखाने में!!
परेशां ज़िंदगी से अपनी हर कोई मुझको वहाँ मिला!!

कहना था बस कह दिया ...
~~~ मेरी कलम से ~~~ इसका गम