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वृष्टि भी अकसर तुम्हारी याद दिलाती है, तनहाइयों क

वृष्टि भी अकसर तुम्हारी याद दिलाती है, 
तनहाइयों के अंधेरे में सूरत तेरी दिखाती है,
कुछ तो अब भी है तेरे मेरे दरमियां ,
जो तेरा ख़याल आते ही आँखें नम हो जाती हैं। #unspoken #Poem #love
वृष्टि भी अकसर तुम्हारी याद दिलाती है, 
तनहाइयों के अंधेरे में सूरत तेरी दिखाती है,
कुछ तो अब भी है तेरे मेरे दरमियां ,
जो तेरा ख़याल आते ही आँखें नम हो जाती हैं। #unspoken #Poem #love