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0️⃣0️⃣0️⃣ शून्यों का खेल 🤔 🤔 By - M.k....✍️ Rea

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शून्यों का खेल 🤔 🤔

By - M.k....✍️
Read caption👇👇 हैलो दोस्तों , 
#शून्य का #खेल
ये कहानी है लगभग आजकल के हर इंसान की, इसमें कहीं मैं भी हूं तो कहीं तुम भी हो  तो आइए और देखते हैं.....

जब एक मानव जन्म लेता है तो बड़ा ही निर्भर रहता है दूसरों पर खुद से न कुछ कर सकता है बस आराम करता है।खाता है ,पीता है और सो जाता है।। लेकिन जब वो एक साल का हुआ तो पहली बार किसी ने उसे 1 रूपया दिया उसे नहीं पता कि यह क्या है बस मां ने भैया के साथ के दुकान पर भेजा तो बस दुकानदार ने उसके बदले खाने की चीजें दे दी। इससे उसे लगा कि ये कुछ तो है, जिससे खाने का सामान मिल जाता है लेकिन अब तक उसे को टेंशन नहीं क्योंकि अभी भी वह खाता है पीता है और बच्चों के साथ खेल कर सो जाता है।  सब अच्छा चल रहा है लेकिन अब वो धीरे - धीरे बड़ा भी हो रहा है। उस अब कुछ समझ में भी आने लगा है और जब अब स्कूल में भी दाखिला हो गया है एक दो दोस्त भी बन गए हैं, और अब उस एक रूपए के पीछे एक शून्य और बढ़ गया है , और अब जानता है कि इसे रूपया कहते है, और इससे कुछ भी खरीदा जा सकता है।
लेकिन भी इतनी टेंशन नहीं है क्योंकि अभी पैसों की कोई जरूरत नहीं है मां खाना खिलाती बापू कंधे पर बैठा कर खेत घूमा लाता है 
दादाजी ‌कहानी सुनाते हैं और सब अच्छा चल रहा है सब तरफ उसे पर्याय ही प्यार मिल रहा हैै। आज उसके पास सब है लेकिन शून्य भी जमा नहीं क्योंकि जो मिला उसे दोस्तों के साथ बांटकर खा लिया!
 अब और समझदार हुआ तो चाहत बढ़ी इच्छा हुई इच्छा कि इस
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शून्यों का खेल 🤔 🤔

By - M.k....✍️
Read caption👇👇 हैलो दोस्तों , 
#शून्य का #खेल
ये कहानी है लगभग आजकल के हर इंसान की, इसमें कहीं मैं भी हूं तो कहीं तुम भी हो  तो आइए और देखते हैं.....

जब एक मानव जन्म लेता है तो बड़ा ही निर्भर रहता है दूसरों पर खुद से न कुछ कर सकता है बस आराम करता है।खाता है ,पीता है और सो जाता है।। लेकिन जब वो एक साल का हुआ तो पहली बार किसी ने उसे 1 रूपया दिया उसे नहीं पता कि यह क्या है बस मां ने भैया के साथ के दुकान पर भेजा तो बस दुकानदार ने उसके बदले खाने की चीजें दे दी। इससे उसे लगा कि ये कुछ तो है, जिससे खाने का सामान मिल जाता है लेकिन अब तक उसे को टेंशन नहीं क्योंकि अभी भी वह खाता है पीता है और बच्चों के साथ खेल कर सो जाता है।  सब अच्छा चल रहा है लेकिन अब वो धीरे - धीरे बड़ा भी हो रहा है। उस अब कुछ समझ में भी आने लगा है और जब अब स्कूल में भी दाखिला हो गया है एक दो दोस्त भी बन गए हैं, और अब उस एक रूपए के पीछे एक शून्य और बढ़ गया है , और अब जानता है कि इसे रूपया कहते है, और इससे कुछ भी खरीदा जा सकता है।
लेकिन भी इतनी टेंशन नहीं है क्योंकि अभी पैसों की कोई जरूरत नहीं है मां खाना खिलाती बापू कंधे पर बैठा कर खेत घूमा लाता है 
दादाजी ‌कहानी सुनाते हैं और सब अच्छा चल रहा है सब तरफ उसे पर्याय ही प्यार मिल रहा हैै। आज उसके पास सब है लेकिन शून्य भी जमा नहीं क्योंकि जो मिला उसे दोस्तों के साथ बांटकर खा लिया!
 अब और समझदार हुआ तो चाहत बढ़ी इच्छा हुई इच्छा कि इस
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