उदय हो नए विचार हाली चले खेत में सोना उगाने रेत में खूड़ खूड़ हाली फिरे स्वेद बन मोती गिरे बैल, हल जिसके सारथी वो धानी रँग दे माँ भारती जो डरे ना सूर्य के ताप से जग पाले श्रम के प्रताप से नई भोर के साथ उदय हो नए विचार हाली चले खेत में सोना उगाने रेत में खूड़ खूड़ हाली फिरे स्वेद बन मोती गिरे बैल, हल जिसके सारथी वो धानी रँग दे माँ भारती