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सब बदल गया_____ तब?? #एक तौलिया से पूरा घर नहाता

सब बदल गया_____
तब??

 #एक तौलिया से पूरा घर नहाता था । दूध का नम्बर बारी - बारी आता था । 
#छोटा माँ के पास सो कर इठलाता था । पिताजी से मार का डर सबको सताता था ।
 बुआ के आने से माहौल शान्त हो जाता था । 
#पूड़ी खीर से पूरा घर रविवार मनाता था । बड़े भाई के कपड़े छोटे होने का इन्तजार रहता था
  #स्कूल में बड़े की ताकत से छोटा रौब जमाता था । बहन - भाई के प्यार का सबसे बड़ा नाता था । 
धन का महत्व कभी सोच भी न पाता था । बड़े का बस्ता किताबें साईकिल कपड़े खिलोने पेन्सिल स्लेट स्टाईल चप्पल सब से मेरा नाता था । 
मामा - मामी नाना - नानी पर हक जताता था । एक छोटी से सन्दुक को अपनी जान से ज्यादा प्यारी तिजोरी बताता था अब -
~ ~ #तौलिया अलग हुआ , दूध अधिक हुआ , माँ तरसने लगी , पिता जी डरने लगे , बुआ से कट गये , खीर की जगह पिज्जा बर्गर मोमो आ गये , कपड़े भी व्यक्तिगत हो गये , भाईयो से दूर हो गये , 
#बहन के प्रेम की जगह गर्लफ्रेण्ड आ गई , धन प्रमुख हो गया ,
 #अब सब नया चाहिये , नाना आदि औपचारिक हो गये । बटुऐ में नोट हो गये ।
 कई भाषायें तो सीखे मगर संस्कार भूल गये । बहुत पाया पर कुछ खो गये । रिश्तो के अर्थ बदल गये , -
 #हम जीते तो लगते है पर एहसास व संवेदनाहीन हो गये । कृपया सोचें . कहां थे , कहां पहुंच गये

©Dev Babu #RAMADAAN
सब बदल गया_____
तब??

 #एक तौलिया से पूरा घर नहाता था । दूध का नम्बर बारी - बारी आता था । 
#छोटा माँ के पास सो कर इठलाता था । पिताजी से मार का डर सबको सताता था ।
 बुआ के आने से माहौल शान्त हो जाता था । 
#पूड़ी खीर से पूरा घर रविवार मनाता था । बड़े भाई के कपड़े छोटे होने का इन्तजार रहता था
  #स्कूल में बड़े की ताकत से छोटा रौब जमाता था । बहन - भाई के प्यार का सबसे बड़ा नाता था । 
धन का महत्व कभी सोच भी न पाता था । बड़े का बस्ता किताबें साईकिल कपड़े खिलोने पेन्सिल स्लेट स्टाईल चप्पल सब से मेरा नाता था । 
मामा - मामी नाना - नानी पर हक जताता था । एक छोटी से सन्दुक को अपनी जान से ज्यादा प्यारी तिजोरी बताता था अब -
~ ~ #तौलिया अलग हुआ , दूध अधिक हुआ , माँ तरसने लगी , पिता जी डरने लगे , बुआ से कट गये , खीर की जगह पिज्जा बर्गर मोमो आ गये , कपड़े भी व्यक्तिगत हो गये , भाईयो से दूर हो गये , 
#बहन के प्रेम की जगह गर्लफ्रेण्ड आ गई , धन प्रमुख हो गया ,
 #अब सब नया चाहिये , नाना आदि औपचारिक हो गये । बटुऐ में नोट हो गये ।
 कई भाषायें तो सीखे मगर संस्कार भूल गये । बहुत पाया पर कुछ खो गये । रिश्तो के अर्थ बदल गये , -
 #हम जीते तो लगते है पर एहसास व संवेदनाहीन हो गये । कृपया सोचें . कहां थे , कहां पहुंच गये

©Dev Babu #RAMADAAN