اپنے جلنے میں کسی کو نہیں کرتے ہیں شریک رات ہو جائے تو ہم شمع بجھا دیتے ہیں صبا اکبرآبادی دوستو آج کا لفظ ہے، "شریک" آگے چلکر اسی سے شرکت، اشتراک وغیرہ الفاظ بنتے ہیں۔ اس لفظ کو استعمال کرکے نظم یا اشعار لکھیں۔ شکریہ अपने जलने में किसी को नहीं करते हैं शरीक रात हो जाये तो हम शम्अ बुझा देते हैं.. सबा अकबराबादी' आज का लफ़्ज़ है शरीक - जिस का अर्थ है वो शख़्स आप के दुख सुख में शामिल हो। साथी, spouse आदि। इसी लफ़्ज़ से आगे चल कर शिरकत (शामिल होना) बना है।