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हर इक फूल का रंग फीका सा रहता नसीम-ए-बहाराँ में नि

हर इक फूल का रंग फीका सा रहता
नसीम-ए-बहाराँ में निकहत न होती

ख़ुदाई का इंसाफ़ ख़ामोश रहता
सुना है किसी की शफ़ाअत न होती
जो औरत ना होती

©Andy Mann
  #औरत_एक_रूप_अनेक