मुबारक हो तुमको अब तुम्हारी सड़क की हवायें जो तुमको मेरी पगडंडियों की हया न रास आई कंक्रीट के जंगल में तुम रातें गुज़ारो जो तुमको मेरी गाँव के भोर की ताज़गी न भाई हम चले फिर से जीने अपना गुज़रा ज़माना देखो तुम हमको अब वापस याद न आना ! ©gudiya मुबारक हो तुमको अब तुम्हारी सड़क की हवायें जो तुमको मेरी पगडंडियों की हया न रास आई कंक्रीट के जंगल में तुम रातें गुज़ारो जो तुमको मेरी भोर की ताज़गी न भाई हम चले फिर से जीने अपना गुज़रा ज़माना देखो तुम हमको अब वापस याद न आना !