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यें ठोकरी खा कर आयी हुई समझ किताबी ज्ञान से कही ब

यें ठोकरी खा कर आयी हुई समझ 
किताबी ज्ञान से कही बेहतर है
जो चला रेंग कर चलने वाला 
दुसरो के पैरो पर चलने  से कही बेहतर है
इरादे खुद के मजबूत रखो
दुसरो के भरोसे खुद की कश्ती को डुबोने के बराबर है

राजोतिया भुवनेश

©Rajotiya Bhuwnesh
  #truethoughts