मुन्ना ने कागज़ की नाव छोड़ी थी नाले में । पीपल तले बैठा, उसे निहार रहा था । उतावला हुआ वो शाखी भी, कुछ प्रतियोगी टहनी से टूट आ मिले ।। - CalmKazi और Shubhiiii (READ FULL POETRY BELOW) A collab poetry by Bhavesh Bhargava (CalmKazi) and Shubhi Khare (Shubhiiii). Click on #CalmKaziCollabs for more of my collabs बारिश हमेशा भिगो देती है । कभी पानी से कभी यादों से