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मुन्ना ने कागज़ की नाव छोड़ी थी नाले में । पीपल तले

मुन्ना ने कागज़ की 
नाव छोड़ी थी नाले में ।
पीपल तले बैठा, 
उसे निहार रहा था ।
उतावला हुआ वो शाखी भी,
कुछ प्रतियोगी टहनी से टूट आ मिले ।।
- CalmKazi और Shubhiiii (READ FULL POETRY BELOW)

A collab poetry by Bhavesh Bhargava (CalmKazi) and Shubhi Khare (Shubhiiii). 

Click on #CalmKaziCollabs for more of my collabs

बारिश हमेशा भिगो देती है । कभी पानी से कभी यादों से
मुन्ना ने कागज़ की 
नाव छोड़ी थी नाले में ।
पीपल तले बैठा, 
उसे निहार रहा था ।
उतावला हुआ वो शाखी भी,
कुछ प्रतियोगी टहनी से टूट आ मिले ।।
- CalmKazi और Shubhiiii (READ FULL POETRY BELOW)

A collab poetry by Bhavesh Bhargava (CalmKazi) and Shubhi Khare (Shubhiiii). 

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बारिश हमेशा भिगो देती है । कभी पानी से कभी यादों से
calmkazi6439

CalmKazi

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