नेक सलाह आपका लाख टके की बात आओ हम सब मिलकर करें एक नई शुरुआत जब जागा मानव तभी प्रभात।। कुछ नई आओ रीत बनाएं कुछ नई रितिका करें परित्याग कुछ पुरानी रीत बचा लो कुछ अच्छी वाली रीत बना लो जब जागा मानव तभी सवेरा।। आपाधापी इस जीवन में लगी हुई है हम सबके रोहित ज्ञानी जो बात बताएं उनकी बात जरा गौर करो जब जागा मानव तभी सवेरा।। कुछ परंपराएं अच्छी हैं कुछ परंपराएं बहुत बुरी अपने घर में भजन बजाएं अश्लील संगीत कभी नहीं कवि होरीलाल विनीता कहते जब जागा मानव तभी सवेरा।। ©Hori lal Vinita जब जागा मैं तभी सवेरा #Hope