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है तेज़ जब्र ओ ज़ुल्म की रफ़्तार इन दिनों! सच्चाई

है तेज़ जब्र ओ ज़ुल्म की रफ़्तार इन दिनों!
सच्चाई को निगल गए अख़बार इन दिनों!
नो रत्न नो ही रंग थे अकबर के दौर में!
इक रंग ज़ाफ़रानी है दरबार इन दिनों!
अफ़रोज़ "सहर" एक क़तअ एहबाब की नज़्र
है तेज़ जब्र ओ ज़ुल्म की रफ़्तार इन दिनों!
सच्चाई को निगल गए अख़बार इन दिनों!
नो रत्न नो ही रंग थे अकबर के दौर में!
इक रंग ज़ाफ़रानी है दरबार इन दिनों!
अफ़रोज़ "सहर" एक क़तअ एहबाब की नज़्र
afrozlala4652

Afroz Lala

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