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एक स्त्री अपने श्रृंगार मुक्त रूप से, प्रेम में प

एक स्त्री अपने श्रृंगार मुक्त  रूप से, प्रेम में पड़े पुरुष को पूरी जिंदगी मोहित  कर सकती हैं, लेकिन वो ऐसा नहीं करती हैं, वो ढूँढती हैं दूसरा रूप, और आख़िरकर उसे बाज़ार में कौड़ियों के भाव में मिलने वाले श्रृंगार को अपनाना ही पड़ता हैं,लेकिन वो पुरुष तो उसके श्रृंगार मुक्त रूप से प्रेम करता हैं, न की उसके श्रृंगार से सूसज्जित मुख से!

©Prem Nirala एक स्त्री अपने श्रृंगार मुक्त  रूप से, प्रेम में पड़े पुरुष को पूरी जिंदगी मोहित  कर सकती हैं, लेकिन वो ऐसा नहीं करती हैं, वो ढूँढती हैं दूसरा रूप, और आख़िरकर उसे बाज़ार में कौड़ियों के भाव में मिलने वाले श्रृंगार को अपनाना ही पड़ता हैं,लेकिन वो पुरुष तो उसके श्रृंगार मुक्त रूप से प्रेम करता हैं, न की उसके श्रृंगार से सूसज्जित मुख से!

__प्रेम__निराला__
एक स्त्री अपने श्रृंगार मुक्त  रूप से, प्रेम में पड़े पुरुष को पूरी जिंदगी मोहित  कर सकती हैं, लेकिन वो ऐसा नहीं करती हैं, वो ढूँढती हैं दूसरा रूप, और आख़िरकर उसे बाज़ार में कौड़ियों के भाव में मिलने वाले श्रृंगार को अपनाना ही पड़ता हैं,लेकिन वो पुरुष तो उसके श्रृंगार मुक्त रूप से प्रेम करता हैं, न की उसके श्रृंगार से सूसज्जित मुख से!

©Prem Nirala एक स्त्री अपने श्रृंगार मुक्त  रूप से, प्रेम में पड़े पुरुष को पूरी जिंदगी मोहित  कर सकती हैं, लेकिन वो ऐसा नहीं करती हैं, वो ढूँढती हैं दूसरा रूप, और आख़िरकर उसे बाज़ार में कौड़ियों के भाव में मिलने वाले श्रृंगार को अपनाना ही पड़ता हैं,लेकिन वो पुरुष तो उसके श्रृंगार मुक्त रूप से प्रेम करता हैं, न की उसके श्रृंगार से सूसज्जित मुख से!

__प्रेम__निराला__
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Prem Nirala

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