लाजमी था तेरा मुकर जाना हर बातों से हर वादो से हर मुलाकात से,,, क्योंकि फितरत है इंसान की बदल जाना,,, खामोशियां बढ़ते बढ़ते खाई का रूप ले लेगी एक वक्त के बाद इतनी दूरियां हो जाएंगी,,,,, संभव ही नहीं हो पाएगा पार करना एक दूजे के लिए अजनबी से हो जाएंगे,,,,, मिट जाएंगी वह भावना जिनके लिए कभी जिया करते पल-पल इंद्रियां प्रेम रस पिया करती थी,,,,