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(वात्सल्य की चाह ) संसार की पनाह में कितने राही आत

(वात्सल्य की चाह )
संसार की पनाह में कितने राही आते जाते ,
कभी अपने कभी परायापन भी जो निभाते ,
सभी रिश्तों की डोर थामे  एक सूत पिरोती बस एक ही राह ,
जिसको कहते हैं वात्सल्य की चाह  ,
आओ बताऊँ सभी को वात्सल्य की भावना का सार ,
जो भी बंधु मानव और पशु जुड़े जब भावनाओं में ,
प्रेम की और अपनत्व की आभा ओढ़े दर्शायी जाए जो आश ,
बस एक वहीं है ममत्व रूपी वात्सल्य की बात ,
रूप अनेक है वात्सल्य तेरे ,
कभी बचपन की यादों में तो कभी हर रिश्ते को तु घेरे ,
मगर ममता की जो बात करने जाती हूँ ,
बस वहीं से वात्सल्य की सही परिभाषा पाती हूँ ,
सार है ममता का ,आधार है वात्सल्य ,
अपनी संतान के प्रति प्रेम अनुभूति की साख है ,
माँ बिन कोई न सींचें इस भाव को ,
माँ करुणा और प्रेम ममत्व की मूर्त ,
जिनकी कृपा से ही संसार में रिश्तों के प्रेम की बहार है ।
#स्वाति_की_कलम_से #nojotopoem by #swatikiqalumse
#like#comments😎🙏 Satyaprem Internet Jockey
(वात्सल्य की चाह )
संसार की पनाह में कितने राही आते जाते ,
कभी अपने कभी परायापन भी जो निभाते ,
सभी रिश्तों की डोर थामे  एक सूत पिरोती बस एक ही राह ,
जिसको कहते हैं वात्सल्य की चाह  ,
आओ बताऊँ सभी को वात्सल्य की भावना का सार ,
जो भी बंधु मानव और पशु जुड़े जब भावनाओं में ,
प्रेम की और अपनत्व की आभा ओढ़े दर्शायी जाए जो आश ,
बस एक वहीं है ममत्व रूपी वात्सल्य की बात ,
रूप अनेक है वात्सल्य तेरे ,
कभी बचपन की यादों में तो कभी हर रिश्ते को तु घेरे ,
मगर ममता की जो बात करने जाती हूँ ,
बस वहीं से वात्सल्य की सही परिभाषा पाती हूँ ,
सार है ममता का ,आधार है वात्सल्य ,
अपनी संतान के प्रति प्रेम अनुभूति की साख है ,
माँ बिन कोई न सींचें इस भाव को ,
माँ करुणा और प्रेम ममत्व की मूर्त ,
जिनकी कृपा से ही संसार में रिश्तों के प्रेम की बहार है ।
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swatisoni4835

swati soni

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