#OpenPoetry थी एक चिड़िया बंद पिंजरे में ...उड़ने को बेक़रार .... बस ख़्वाब सजाती हर पल ...एक दिन, वो छु लेंगी आकाश .....करती वो जतन नित नए प्रपंच ...कि खुल जाए पिंजरा आज दिन भर आवाज़ ...ना माने हार मुझे छूना हैं आकाश ... एक दिन आयी दया ...लें उड़ जा तू ..कर मुट्ठी में आसमां निकली चिड़िया उस पिंजरे से ..पर आया एक सवाल वो उड़े कैसे ..वो जाए kha ..के' पर ' नहीं उसके पास थी उसमे हिम्मत ..कुछ दूर चली. ...थी तब भी उसे एक आस घबराती वो , डर जाती , कभी ... कभी देती हिम्मत भी ज़वाब ... लड़ती ख़ुद से ... पर सबकी नज़र कि पंख नहीं ...ना होता उसे बर्दाश्त ... आयी वापस पिंजरे में उसी .... स्वीकारी उसने हार ...... है चिड़िया बच्ची एक पिंजरा घर परिवार कतरे जाते है पर उसके जब कोई अपना करता है बलात्कार #OpenPoetry #चिड़िया #कफ़स #बलात्कार #हिंदी #collabgirl#writersnetwork