खून खोलता है मेरा गद्दारों को देखकर रोते हुए अपनों की दुर्दशा को देखकर याद आते हैं मुझे "भगत सिंह,चंद्रशेखर आजाद सुखदेव" नहीं था जिनके लिए कुछ और मूल्यवान इस मातृभूमि से तन-मन-धन मन धन सब कुछ समर्पित किया "गांधी सुभाष चन्द्र" ने जोश भर देता तन मन में,धधक उठती है ज्वाला सीने मे आज़ादी की आजाद तो हो गया है मेरा प्यारा भारत फिर भी जकड़ा हुआ मज़हब और जात पात की बेड़ियों में उठो भारत मां के वीर सपूतों जननी करती हैं पुकार लगे हैं दाग जो दामन में भारत माता के मिटा दो उनको 🎀 विशेष प्रतियोगिता #collabwithकोराकाग़ज़ 🇮🇳 स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ 🇮🇳 🎀 10 से 12 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। 🎀 रचना केवल वीर रस में लिखी होनी चाहिए। 🎀 रचना में कम से कम 5 स्वतंत्रता सेनानियों के नाम हों। 🎀 समूह की मुख्य प्रतियोगिता और कोलाब प्रतियोगिता में भाग लेना अनिवार्य है।