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रात को तारे गिनते गिनते सो जाते थे बचपन में, पर

रात को तारे गिनते गिनते सो 
 जाते थे बचपन में, पर अब इंसान की तरक्की 
ने आसमान और बचपन
 दोनो को ही खा लिया, बचपन गुम है
मोबाइल में और तारे धुआं हो गए ।

©Himanshu G
  #Tarraki
himanshug4875

Himanshu G

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