( मरी हुई इंसानियत ) ( की सोच ) देखो ये लोग घर आ रहे हैं, खुद तो आए आए कोराना भी ला रहे हैं।। प्रणाम करने गया तो देखो ये पास आ रहें हैं, शहर से आये लोग अब गालियां खा रहे हैं।। अपनों की तो पहले बहुत चिंता थी उन्हें, अब क्यों उनसे दूरी बना रहे हैं।। अब लोग कुछ इस तरह रिश्ते निभा रहें हैं ये ग़लत होरा है