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सुनते सुनते मौन हुए हम उन नजरों में भी कौन हुए हम

सुनते सुनते मौन हुए हम
उन नजरों में भी कौन हुए हम
जिन्दगी भी न जाने क्यूं 
सारे रस्ते खोल रही है
खामोशी कुछ बोल रही है....... 
कौन डगर के राही थे हम
कौन डगर आ पहुंचे हैं। 
कुछ आवाजें पूंछ रही है कि
हम अब तक कहां पहुंचे हैं
आंखों में कुछ एक रोशनी
इधर उधर ही डोल रही है
खामोशी कुछ बोल रही है...... 
नफरतें भी मिलीं बहुत
इश्क़ भी बेइंतहा मिला
हमने अपना ही माना उसको
हमको जो जहां मिला
हर इक  रिस्ते की डोर हमको 
हल्का भारी तोल रही है
खामोशी कुछ बोल रही है......

©NITISH NISAR #खमोशी
सुनते सुनते मौन हुए हम
उन नजरों में भी कौन हुए हम
जिन्दगी भी न जाने क्यूं 
सारे रस्ते खोल रही है
खामोशी कुछ बोल रही है....... 
कौन डगर के राही थे हम
कौन डगर आ पहुंचे हैं। 
कुछ आवाजें पूंछ रही है कि
हम अब तक कहां पहुंचे हैं
आंखों में कुछ एक रोशनी
इधर उधर ही डोल रही है
खामोशी कुछ बोल रही है...... 
नफरतें भी मिलीं बहुत
इश्क़ भी बेइंतहा मिला
हमने अपना ही माना उसको
हमको जो जहां मिला
हर इक  रिस्ते की डोर हमको 
हल्का भारी तोल रही है
खामोशी कुछ बोल रही है......

©NITISH NISAR #खमोशी
nitishnisar7717

NITISH NISAR

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