एहसान एहसान तेरा भूलूँ कैसे जो राह तूने दिखाई है जब मैं अंधेरों में खोई थी रोशनी तूने दिखाई है जलता तन मेरा धूप में छाया बनकर बचाई है जब भींगती मैं बारिश में छतरी तूने लगाई है भींग गए तुम खुद मगर मुझे भीगने से बचाई है बेसहारा भटकती राहों में हाथ तूने फैलाई है प्यार दिया संवार दिया और सीने से लगाई है तेरा एहसान मुझपर