तेरी आत्मा से बड़ा कोई तेरा समीक्षक नहीं, तस्कीन जिससे हो आत्मा तारीफ उसकी मोहताज नहीं, आत्मा कर देती हैं बयां दिल का माजरा , हिम्मत के पंख कभी उड़ान का मोहताज नहीं। काम वह तारीफ के काबिल जिसमें कोई स्वार्थ नहीं, कुणाल खिले कीचड़ में मगर पहचान अलग से, काम वह तारीफ के काबिल जिसमें कोई स्वार्थ नहीं, निरंतर आगे बढ़ते रहो आलस्य से इसका सरकार नहीं। माना गातकृशा है हम यहां पाषाण सी हैं हिम्मत , जहां पर कामयाबी वहां मिलेगें हजारों आलोचक, सदा नजर अंदाज करो ऐसे लोगों को, तरक्की की राह पर सदा रहो विमोचक। ♥️ Challenge-560 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।