मत बोल मत बोल मत बोल रोटी आलू प्याज़ भी है गोल आधा पुल आधी आधी पोल मत बोल मत बोल मत बोल सोना हुआ तेल रुक गई रेल खा गई अंग्रेजी बच्चों का खेल बज रहा घर घर पैसे का ढोल मत बोल मत बोल मत बोल आग मिट्टी पेड़ पानी और हवा गरीबों की लूट ली गई ये दवा झूट कैसे होता है सच देख ले बिकता हुआ अखबार खोल तेरे बाग़ का तो गुलाब टूटा यहाँ आँखों का ख़्वाब टूटा हो गई मुहब्बत भी बेमोल मत बोल मत बोल मत बोल रौशनी तमाम अंधेरी हो गई पत्थरों की सूरत है नई नई भाई भाई में फूट बढ़ रही है ऐ सियासत ज़हर कम घोल मत बोल....... दहशत दर्द और खड़ी दीवार के बेवफ़ा ही तो है वफ़ादार ख़ूब फूले फलेगा आगे बढ़ेगा लुटेरों के आगे पीछे और डोल मत बोल मत बोल मत बोल नदीम हसन चमन ©मोहम्मद मुमताज़ हसन # मत बोल #गीत