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जिंदा हू बस बरबाद होने के बाद खाब बुन रही हु अक

जिंदा हू बस बरबाद होने के बाद 
  खाब बुन रही हु अकेली चल रहीं हूं।
जिंदगी की राह में बिखर गए जो सपने उन्हें चुन रही हूं 
मायुस चेहरे पे खुशी का नकाब बुन रही हूं।

  रंजीत कौर श्रीहिंद।

©ranjeet hans #roshni
जिंदा हू बस बरबाद होने के बाद 
  खाब बुन रही हु अकेली चल रहीं हूं।
जिंदगी की राह में बिखर गए जो सपने उन्हें चुन रही हूं 
मायुस चेहरे पे खुशी का नकाब बुन रही हूं।

  रंजीत कौर श्रीहिंद।

©ranjeet hans #roshni
ranjeetkaurkaur5079

ranjeet hans

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