जब तक किसी रिश्ते में बचपना जिंदा है तब तक ही वो रिश्ता जिंदा है जैसे ही रिश्ता समझदारी की ओर बढता है फिर वो बाजारों में बिकता है हर खुशी को पैसों से आंकते है हर अहसास को नोटों से जोड़ते है कई दिल लुटते है और कई बाजारों में बिकते हैं। ललित राजपूत रिश्ता और पैसा...