वैशाली के कुंडलपुर को तूने पावन किया, सौभाग्य उन '१४ स्वप्नों' का,तेरे आगमन का जिसने संकेत दिया, वो' मिट्ठी' भाग्यवान हुई,तेरे चरणों को जिसने स्पर्श किया, वो 'वक्त' भी खुदको धन्य समझें,जिसमें महावीर ने जन्म लिया। सभी सुख आंगन उनके, ईश्वर ने बरसाया, फिर क्यों महलों का सुख छोड़, वन में जीवन बिताया, 'पेड़ पौधे' भी थे हैरान,पर साथ खूब निभाया, क्या थी उनकी तलाश,जिसने वर्धमान उन्हें बनाया। जीवन की ठोकर खाते,पग पग साहा अपमान, क्षमा और धर्य से उनके , पिग्ले कितने हैवान। वो 'keel' का हृदय भी कांपा था,जिससे गायल हुए महावीर के कान, वो 'sal' वृक्ष भी समृद्ध हुआ,जहा मिला उन्हें केवल ज्ञान। फिर, अहिंसा को दिलाई पहचान, क्षमा बना सर्व श्रेष्ठ दान, अन्धकार ने गुटने टेके,झुका ये अज्ञान🙏 तो चलो गीतों के संग आज करे उनके गुणगान😊 -vidyajain mahavir jayanti special poem ✍️❤️