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निश्चल है प्रेम ये मेरा, ना हैं इसकी कोई भाषा। पूं

निश्चल है प्रेम ये मेरा,
ना हैं इसकी कोई भाषा।
पूंजी ऐसी ना खोने का डर, 
ना ही पाने की चिंता। 
ना भेद भाव, ना द्वेष इसमें,
भक्ति भाव भरा है मन में। 
रात दिवस करू आराधना,
खुद से पहले रखूं ध्यान तुम्हारा।

©Heer
  #निश्चल प्रेम
heertrivedi5954

Heer

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#निश्चल प्रेम #Poetry

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