*वन की चिड़िया कहे सुन पिंजरे की चिड़िया रे * "*वन में उड़े दोनों मिलकर *" पिंजरे की चिड़िया कहे बन की चिड़िया रे; पिंजरे में रहना बड़ा सुखकर !! बन की चिड़िया कहे ना .......... मैं पिंजरे में कैद रहूं क्यों कर ;.. पिंजरे की चिड़िया कहे हाय ,; निकलूं मैं कैसे पिंजरा तोड़ कर !!!!! #रविंद्र नाथ टैगोर द्वारा## रचित कविता का एक अंश ... # रविंद्र नाथ टैगोर #RABINDRANATHTAGORE