पक्षपात मन में, फिर घर में, फिर कपड़ों में, फिर रिश्तों में, फिर समाज में, फिर इंसानियत में, फिर दिलो में, फिर दूसरो में, फिर.. न जाने किस किस में।। ©Daksh Jadaun #dakshpoetry #dakshkibaatein #poem #WForWriters