कभी मिठाईयां, खिलौनों, कपड़ों के लिए रोने वाला लड़का, कब मार्कस्,एक्साम,रैंक को लेके रोने लगा पता ही न चला। वो रात नौ बजे सोकर, सुबह "मम्मी ज़रा और सोने दो" बोलने वाला कब आधी नींद सोने लगा, पता ही न चला। वो शर्दी, पेट दर्द के बहाने बनाकर स्कुल से छुट्टी मारने वाला लड़का कब अनेक दुःख दर्द छुपाए मैं ठीक हूं बताने लगा, पता ही न चला। वो डाक्टर,ईन्जिनीयर बनूंगा का ऊंचा स्वर कब धीमा होने लगा वो पायलट बनकर जहाज उड़ाने का सपना जाने कब सोने लगा, पता ही न चला। वो शक्तिमान, हातिम, शाकालाका-बूमबूम की जादूई दुनिया में जीने वाला लड़का, कब अपने मन के गहरे तालाब में डूबने लगा पता ही न चला। -अजय wo ladka #teenage #thoughts #childhood #depression