मैं ये नहीं कहता कि, कहो न झूठ तुम दुनिया से, इस उन्स के बन्धन में, एक बा-दस्तूर मायाजाल में, हर पल मुखौटा पहनना पड़ता है, चाहे हों इज़्तिरार, या मसला हो ख़ुशी-ए-करार, पता ये खुद को होता है, फिर भी ख़ुद से ख़ुद को मुखातिब, होने का हौंसला जुटाना पड़ता है, क्योंकि कहने के बाद सब से सब, किसी और को तो नहीं, मगर, ख़ुद से, ख़ुद के द्वारा, ख़ुद के लिए, ख़ुद को जवाब देना पड़ता है। सुप्रभात। आत्मा के विपरीत जब कार्य करना पड़ता है, तो ख़ुद को जवाब देना पड़ता है... #जवाबदेनापड़ताहै #collab #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #chirag_kashyap