कलाई पर बंधी ये राखी आज भी, अच्छे ने अच्छा जाना मुझे बुरे ने बुरा जाना मुझे जिसकी जैसी सोच थी उसने उतना ही पहचाना मुझे ईद मिलाद-उल-अजहा