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धरती के समंदर से गहरा आंखों में एक समंदर है। एक त

धरती के समंदर से गहरा 
आंखों में एक समंदर है।
एक तुफ़ान वहां बाहर है, 
एक तूफ़ान मेरे अंदर है।।

आंधी ने आज फिर 
कितनी चीजें उड़ाईं हैं।
मन में फिर उथल-पुथल है, 
जज़्बातों की आंधी आई है।।

सूरज की तपन है क्या, 
जब चिंता ने जलाया है।
ख़ाक में मिलके हिसाब होगा, 
क्या पाया? क्या गंवाया है?

जीवन चक्र यूं चलता रहेगा, 
और तूफ़ान भी आएंगे।
लड़ने वाले लड़ लेंगे, 
बाकी मारे जाएंगे।।

©Pratima Tiwari
  #जज़्बात #ख़याल_कुछ_यूं_है