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कितनों के अपने चले गये कितनों के सपने टुट गये ए

कितनों के अपने चले गये 
कितनों के सपने  टुट गये 
एक बच्चे के  सर से पापा का  
साया हट गया  
किसी के  गलतियाँ पे डांट ने वाले  
वोह बुजुर्ग  चले गए 
कबतक हम  इस कोरोना से लडते रहे गे     
 कब हम जीत जायें गे   इस कोरोना से
    तकलीफ़ों का  बोझ  अब
सभालते सभालते   किसानो एक झूठ 
होकर  सडकों पर     खडे है
गरीब क्या करेगा जब  अनाज ओर तेल का
भाव  आस्मान छु रहे हैं 
एक गरीब क्या करेगा  कोरोना  होने पर 
ओक्सिजन  खरीदेंगा या अपने परिवार के लिये  खाना 
हम सम कबतक जीत जायेंगे  
समय ओर परिस्थिति ओर राजनीति के राजकारण 
को देखते हुए    सब अपन अपने 
मतलब के लिए   राजनीतिकी चाल च  रहे हैं 
 हमे खुद ही अपना ओर अपने परिवार काख्याल हमे खुद रखना चाहिए तभी हम जीत जीत जायेंगे

©Anita Najrubhai #Adhure vakya  #कितनों के सपने टुट गये
कितनों के अपने चले गये 
कितनों के सपने  टुट गये 
एक बच्चे के  सर से पापा का  
साया हट गया  
किसी के  गलतियाँ पे डांट ने वाले  
वोह बुजुर्ग  चले गए 
कबतक हम  इस कोरोना से लडते रहे गे     
 कब हम जीत जायें गे   इस कोरोना से
    तकलीफ़ों का  बोझ  अब
सभालते सभालते   किसानो एक झूठ 
होकर  सडकों पर     खडे है
गरीब क्या करेगा जब  अनाज ओर तेल का
भाव  आस्मान छु रहे हैं 
एक गरीब क्या करेगा  कोरोना  होने पर 
ओक्सिजन  खरीदेंगा या अपने परिवार के लिये  खाना 
हम सम कबतक जीत जायेंगे  
समय ओर परिस्थिति ओर राजनीति के राजकारण 
को देखते हुए    सब अपन अपने 
मतलब के लिए   राजनीतिकी चाल च  रहे हैं 
 हमे खुद ही अपना ओर अपने परिवार काख्याल हमे खुद रखना चाहिए तभी हम जीत जीत जायेंगे

©Anita Najrubhai #Adhure vakya  #कितनों के सपने टुट गये