जब तुम्हें खोया तो पाया कि; बहुत कुछ खो गया। 'एक सूरज जि़न्दगी का' यूँ; अचानक सो गया।। बुझ गया 'मन का अलाव' याद की घन--आँधियों में। मख़मली अनुभूतियों में वक़्त 'बबूल' बो गया।। # घनीभूत यादें @ पश्चाताप