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हे त्रिनेत्र हे तीनों लोक के दाता त्राहि त्राहि क

हे त्रिनेत्र 
हे तीनों लोक के दाता
त्राहि त्राहि करता जग सारा
हे रुद्र तेरे नाम की पुकार लगाता
हे शंकर हे शेषनाग के स्वामी 
जन जन तुझको पुकार रहा है
भिक्षा अपने प्राणों की मांग रहा है
हे नाथ रुष्ट अगर तू हो जाएगा
तो मानव किससे समक्ष गुहार लगाएगा 
हे नीलकंठ बोहत संताप हुआ है 
जीवन सांसत मे पड़ा है 
हे आदिशक्ति के स्वामी 
समक्ष तुम्हारे अंजान हाथ जोड़ खड़ा है
हे महाकाल अब त्रिशूल उठा लो 
मेरे स्वामी संसार बचा लो....... 

#अंजान..... #chai #हे_शंकर
#Poetry #Nojoto 
#writer #Hindi 
#nojotohindi 
#अंजान....
हे त्रिनेत्र 
हे तीनों लोक के दाता
त्राहि त्राहि करता जग सारा
हे रुद्र तेरे नाम की पुकार लगाता
हे शंकर हे शेषनाग के स्वामी 
जन जन तुझको पुकार रहा है
भिक्षा अपने प्राणों की मांग रहा है
हे नाथ रुष्ट अगर तू हो जाएगा
तो मानव किससे समक्ष गुहार लगाएगा 
हे नीलकंठ बोहत संताप हुआ है 
जीवन सांसत मे पड़ा है 
हे आदिशक्ति के स्वामी 
समक्ष तुम्हारे अंजान हाथ जोड़ खड़ा है
हे महाकाल अब त्रिशूल उठा लो 
मेरे स्वामी संसार बचा लो....... 

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