बिखेरो मुझे मैं रेत हो जाऊँगा बनाओ मुझे घर हो जाऊँगा ज़रा साँस लो हवा बन के आऊँगा जो भीगेंगी आँखें तो बारिश हो जाऊँगा लबों पे तबस्सुम की शरारत हो जाऊँगा मुसाफ़िर हूँ मैं, कहोगे तो रास्ता हो जाऊँगा अधूरा है सब कुछ पूरे की चाह क्या अधूरा अपना लो मैं पूरा हो जाऊँगा समझते तो सब हो अक़्ल ही बड़ी है समझना जो चाहो समझ नहीं आऊँगा नहीं हूँ कहीं भी ग़र तेरा दिल है ख़ाली भरो अपने दिल को मोहब्बत हो जाऊँगा मुझको है पाना तो खो कर के देखो मुझे खो दिया तो मैं, तुम हो जाऊँगा तुम्हीं से उठा था तुम्हीं में समाया मैं तेरा ही बशर हूँ मैं हर शय हो जाऊँगा। #StreetNight